कृष्ण शरण में चल रे बंदे कृष्ण हमारे नाथ

कृष्ण शरण में चल रे बंदे कृष्ण हमारे नाथ
कृष्ण शब्द है कृष्ण अर्थ है कृष्ण ही है परमार
कृष्ण शरण में चल रे बंदे कृष्ण हमारे नाथ

श्याम ही मेरे तन मन धन है श्याम ही जीवन प्राण
श्याम ही मेरे रोम में बसे है प्रीतम है भगवान
मन मोहन से लगन लगा ले छोड़ जगत के काम रे
कृष्ण स्नेह है कृष्ण राग है कृष्ण मेरे अनुराग,
कृष्ण कर्म है कृष्ण भ्ग्ये है कृष्ण ही है पुर्शाद,
कृष्ण शरण में चल रे बंदे कृष्ण हमारे नाथ


श्याम जन्म म्रत्यु के दाता श्याम भये संसार स्वामी ये तीनो लोको के कृष्ण जगता आधार
जीवन अर्पित चरणों में इनके ये ही परम सुख धाम रे
कृष्ण जीव है कृष्ण भ्रम है कृष्ण मेरे अराद्ये,
कृष्ण स्वर्ग है कृष्ण  मोक्ष है कृष्ण  परम ही साद रे
कृष्ण शरण में चल रे बंदे कृष्ण हमारे नाथ


मुरली मनोहर की धुन पर सारा जग में हर्षाये
सुन कर मधुर बंसी की स्वर राधा भी दोडी आये
लीला धारी की ये लीला कैसे करू बखान रे
काम कृष्ण है मोह कृष्ण है कृष्ण मधुर रस रास कृष्ण भगती है कृष्ण प्रेम है कृष्ण ही है विराग रे
कृष्ण शरण में चल रे बंदे कृष्ण हमारे नाथ
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