श्याम की ऊँगली पकड़ के चलु श्याम की रेहमत पे मैं पलु

श्याम की ऊँगली पकड़ के चलु श्याम की रेहमत पे मैं पलु,
मेरे साथ है दिन रात मेरा संवारा,

हारे का सहारा ये मेरा श्याम है शीश का ये दानी दाता महान है,
इनकी किरपा से चले मेरा कारोबार,
यही पालते है अब मेरा परिवार इनका नाम लेके सारे काम मैं करू,
श्याम की ऊँगली पकड़ के चलु श्याम की रेहमत पे मैं पलु,

मेरे दिल में क्या है सब जानते है ये मेरी सभी बातो को मानते है ये ,
खुश रहु मैं सदा चाहते है ये मेरी सभी मुश्किलें टाल ते है ये,
इनके उपकारों पे मैं अब जियु.
श्याम की ऊँगली पकड़ के चलु श्याम की रेहमत पे मैं पलु,

बद हाले थामे निहाल हो गया ,
इतनी मिली ख़ुशीया माला माल हो गया ,
तुझपे मेरे श्याम का है बड़ा कर्म इनकी भगति से सुधर गया मेरा जन्म,
श्याम भक्ति में सदा राजेष ये कहु,
श्याम की ऊँगली पकड़ के चलु श्याम की रेहमत पे मैं पलु,
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