चाँद से सूंदर मुखड़ जिसका

चाँद से सूंदर मुखड़ जिसका आंखे अमृत की प्याली,
वो तो कोई और नहीं है वो है माँ घांघण वाली,
चाँद से सूंदर मुखड़ जिसका आंखे अमृत की प्याली

नांद है जो कहते माँ का मुखड़ा चाँद के जैसा है,
हम ने चाँद को इस मुखड़े से नूर चुराते देखा है,
सूरज की किणरो ने मांगी माँ के हाथो से लाली,
चाँद से सूंदर मुखड़ जिसका आंखे अमृत की प्याली

क्यों देखे अम्बर को और क्या करना भाग बहारो का,
मैया की चुनरी में ही है डेरा चाँद सितारों का,
ऐसा कोई फूल न जिस से माँ का गजरा हो खाली,
चाँद से सूंदर मुखड़ जिसका आंखे अमृत की प्याली

स्वर्ग वो देखे सोनू जिनके दिल में इसकी चाहत है ,
अपना स्वर्ग तो धंधन वाली मैया तेरी चौकठ है,
स्वर्ग से ज्यादा खुशियां हमने माँ के चरणों में पाई,
चाँद से सूंदर मुखड़ जिसका आंखे अमृत की प्याली  
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