मन्दिर में तू बैठे बैठे

मन्दिर में तू बैठे बैठे सबके मन की जानती,
माई संतोषी सबकी बिगड़ी सवार ती,
जो भी तेरे दर पे आये हे संतोषी माँ,
भरती हो खाली तुम तो उसकी झोली माँ,
मन्दिर में तू बैठे बैठे ....

जो भी है व्रत माँ करते तेरे नाम के सवाली,
पलटे है काया उसकी दे उसको खुशहाली,
निर्धन को माया देती बाँझ को सनताने माँ,
गूंगा माँ बोले दर पे तुम बड़ी दानी माँ,
जो भी गिरे है विपदाओं में विपदा उनकी टाल ती
माई संतोषी सबकी बिगड़ी सवार ती,

तेरी माया है महिमा  जग में बड़ी निराली,
दीं दुखी की मैया तुम तो बनी सहाई,
व्रत कथा तेरी रानी जो सुने सुनाये माँ,
आप के कर्म से उसके काज बन जाए माँ,
आप तो हो ममता का सागर ममता सबको बाँट ती,
माई संतोषी सबकी बिगड़ी सवार ती,

जोधपुर माँ प्रगति गुना में दर्श दिखाने,
मुंबई में तेरा दर है उजैन की हो रानी,
दिल्ली में बेठी रानी चोंकी विराजे माँ,
भगतो की भावना में रहती हो राजी माँ,
जन मन की माँ चिंता हरती मुश्किलों लो ताल ती,
माई संतोषी सबकी बिगड़ी सवार ती,

हम तो है रानी तेरे चरणों के माँ भिखारे,
बस तेरा नाम जपते तेरे नाम के पुजारी,
खाये तेरी जूठन रानी जिन्दगी बिताये माँ,
तेरी उतरन पे जिए तेरे गुण गाये माँ,
बेठे तेरे चरणों में शंकर करे तेरी आरती,
माई संतोषी सबकी बिगड़ी सवार ती,
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