सब का मालिक एक बंदे

सब का मालिक एक बंदे,
सबका मालिक इक है,
साई का सन्देश बंदे सब का मालिक एक है,
सबका मालिक इक है,

घट घट में है राम समाया फिर काहे को भटक रहा,
मोह माया के जाल में फस कर क्यों फांसी पर लटक रहा,
जिस पर किरपा साई नाथ की उस के बदले लेख है,
सबका मालिक इक है,

साई के वचनो में बंदे ज्ञान की गंगा बहती है,
सच मन से घोटा लगा दो नइयाँ पार लग जाती है,
साई राम है साई श्याम है,इस के रूप अनेक है,
सबका मालिक इक है,

साई नाम में गज़ब की शक्ति हरीश तू करले साई की भक्ति,
साई है सतगुरु सब का दाता साई की वाणी है सच्ची,
कहे गोपाल हर मजब है झुकता प्यारे करे हर एक है,
सबका मालिक इक है,
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