आईं सावन की रुत प्यारी रे

आईं सावन की रुत प्यारी रे,
गौरा भंगिया की करले तैयारी,

भोले घोटु न भांग तुम्हारी रे,
लागी कैसी ये तुम को बीमारी रे,

ऐसा ला दे भांग का रगडा,
पी के गोरा हो जाऊ टकड़ा,
होवे भंगियाँ में ताकत बड़ी बारी रे,
गौरा भंगिया की करले तैयारी,

सारी दुनिया केहतन भोला,
पी के भांग मचावे रोला,
भोले अच्छी न आदत तुम्हारी रे,
लागी कैसे ये तुम को बीमारी रे...

भांग गजब की चीज से गोरा,
भांग बिना मेरा बनता तोरा,
भांग चिंता मिटा देगी सारी रे,
गौरा भंगिया की करले तैयारी,

भीम सेन माने न कहना,
मुश्किल है भोले संग रहना,
भोले समजा के मैं तो अब हारी रे,
लागी कैसे ये तुम को बीमारी रे...
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