वैकुण्ठ के सुख छोड़कर भक्तों के पीछे

वैकुंठ के सुख छोड़कर,
भक्तों के पीछे दौड़ कर,
हो साथ फिरते  दरबदर,
प्रिय राधावर प्रिय राधावर,

तूने कहा था समर में ये,
नहीं शस्त्र लूंगा मैं यहां ,
फिर भी उठाया शस्त्र क्यों,
चकित हुआ सारा जहां,
पूरा किया प्रण भक्त का,
अपने वचन को तोड़कर ,
प्रिय राधावर प्रिय राधा वर ,

निर्धन सुदामा था बड़ा,
उपहार लेकर था खड़ा,
वैभव तुम्हारा देखकर,
संकोच में वो था पढ़ा,
भूखे से तुम खाने लगे,
तंदुल की गठरी छीनकर,
प्रिय राधा वर प्रिय राधा वर,

निर्दोष बली से दान ले,
दो पग में पृथ्वीनाप ली,
वरदान देकर ये कहा,
तूने है मेरी पनाह ली,
राजा हो तुम, मैं दास हूं,
पहरा में दूंगा द्वार पर,
प्रिय राधावर प्रिय राधा वर,

वैकुण्ठ के सुख छोड़कर,
भक्तों के पीछे दौड़कर,
हो साथ फिरते, दरबदर,,
प्रिय राधावर प्रिय राधावर.,


Bhajan By :
{धुन-किसी राह पे किसी मोड़ पर}
श्रध्देय बलराम जी उदासी
बिलासपुर (C. G.)
Mob : 70004-92179..
श्रेणी
download bhajan lyrics (729 downloads)