जिथे साड़ी लगी आ तू लगी रेहन दे

जिथे साड़ी लगी आ तू लगी रेहन दे,
लोकी कहन्दे मन्दी एह ते मन्दी रेहन दे,

अगर मान जाता मनाने से कोई,
ना करता शिकायत जमाने से कोई,

आखो से मेरी ये सागर ना छलके ,
अगर बाज आता पिलाने से कोई,

ना करता कभी याद कोई किसी को,
अगर भुल जाता भुलाने से कोई,

ये सताये हुये लोग सताये ना जाते,
अगर बाज आता सताने से कोई,

अगर आना उनको तो वो खुद ही आयेंगे,
नही कोई आता बुलाने से कोई,

साडे इक वारि आजाओ रंगीले रसिया,
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