हे मनमोहनियाँ लख दाता साहनु कदो भुलावे गा

हे मनमोहनियाँ लख दाता साहनु कदो भुलावे गा,
तेरा पीर निगाहें डेरा साहनु कदो भुलावे गा,
साहनु कदो भुलावे गा साढ़े घर कद आवे गा,
हे मनमोहनियाँ लख दाता साहनु कदो भुलावे गा,

तेरे नाम दे चिराग मैं जगावा दातिया,
कर साढ़े उते सूखा दियां छावा दातिया,
हे मनमोहनियाँ लख दाता साहनु कदो भुलावे गा,

झंडा चादर बनाई पीरा तेरे वास्ते,
घर चौंकी मैं लवाई पीरा तेरे वास्ते,
हे मनमोहनियाँ लख दाता साहनु कदो भुलावे गा,

हर वीरवार दर ते भुलावी दातिया,
साड़ी झोली विच खैरा तू पावी दातिया,
हे मनमोहनियाँ लख दाता साहनु कदो भुलावे गा,

पकी पौड़ी ते सवार होके आजा दातिया,
रघु पके न भी दर्श दिखा जा दातिया,
हे मनमोहनियाँ लख दाता साहनु कदो भुलावे गा,

पिन्दु तेलु तेला वाले लयाजा लेके ाउन गे,
सोनी पटी वाले दा अखाडा भी लवाऊं गे,
हे मनमोहनियाँ लख दाता साहनु कदो भुलावे गा,
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