वृन्दावन में मुरली बजाबे

मुरली तीन लोक को प्यारी,
बंसी तीन लोक को प्यारी,
वृन्दावन में मुरली बजाबे बजाबे कृष्ण मुरारी,

ध्यान भंग हो शंकर जी का,
व्याकुल से हो रहे है,
बंसी की धुन सुन ब्रह्मा जी वेद पाठ तक भूल गये है,
दुनिया को करती मतवाली मुरली तीन लोक को प्यारी,
वृन्दावन में मुरली बजाबे , बजाबे कृष्ण मुरारी

अपनी सुध भुध खोये बैठे बंसी को सुन सरस्वस्ती जी,
नरीत करती करते रमा कर बैठी है मन अपनी गति जी,
धुन बंसी की सब पे भारी मुरली तीन लोक को प्यारी,
वृन्दावन में मुरली बजाबे , बजाबे कृष्ण मुरारी

यमुना जी भी रुक रुक जाती सबा भंग हो गई इन्दर की
कमल सिंह मोहन की मुरली जाने घट के अंदर की,
श्याम की लीला सब से न्यारी मुरली तीन लोक को प्यारी,
वृन्दावन में मुरली बजाबे , बजाबे कृष्ण मुरारी
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