जन्नत सी सजी नगरी चमक रहा दरबार

जन्नत सी सजी नगरी चमक रहा दरबार,
भुलाता है हमे फिर वो श्याम तेरा ही प्यार,
अपना बना लो मुझे श्याम,सेवक बना लो मुझे,

अन्जान है वो नादान है वो तेरे प्यार को जो न समज पाया,
दिल ने जब भी बेचैन किया मैं तेरे दर पे चला आया,
तेरा दर्शन तेरी पूजा मेरे दिल में तेरा घर है,
जरा देखे कोई इसको ये जन्नत से भी सुंदर है,
बिना तेरे नही रहना नही रहना मेरे श्याम,
अपना बना लो मुझे श्याम,सेवक बना लो मुझे,

इक पल के लिए इक दिन के लिए न मैं भूल तुम को पाऊगा,
तेरी खाटू की इन गलियों में अपना जीवन मैं बिताऊ गा,
तुझे देखू तुझे चाहू तेरी भक्ति में खो जाऊ,
येही मेरी तमन्हा है तेरी गोदी में खो जाओ,
नही रहना नही रहना तेरे बिन मेरे श्याम,
अपना बना लो मुझे श्याम,सेवक बना लो मुझे,

दुनिया से जो भी हारा है वो तेरे दर पे आया है,
उसको तूने एह सांवरिया अपने गले से लगाया है,
मिली खुशिया उसे हर पल श्याम तेरे ही सुमिरन से,
तेरी किरपा तेरी रहमत रहे सोनू के जीवन में,
आता रहे आता रहे हर ग्यारस,
अपना बना लो मुझे श्याम,सेवक बना लो मुझे,
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