सांवरिया सरकार के होते क्यों फ़िक्र तू करता है

सांवरिया सरकार के होते क्यों फ़िक्र तू करता है,
जग का रक्षक साथ में तेरे फिर भी तू क्यों डरता है,
सांवरिया सरकार के होते क्यों फ़िक्र तू करता है,

जिन रिश्तो की देता दुहाई वो तो नहीं किसी काम के,
उनको तो मतलब तुझसे भूखे है बस दाम के,
ऐसे नातो के चकर में क्यों तू दिल फिर मरता है,
सांवरिया सरकार के होते क्यों फ़िक्र तू करता है,

किन्तु परन्तु अगर जो मन में उसको मिटाना जरुरी ही,
झूठी काया और माया का सच भी समज न जरुरी है,
जीवन के इस सच को समज ले नादानी क्यों करता है,
सांवरिया सरकार के होते क्यों फ़िक्र तू करता है,

दीनानाथ कहाते है ये देव बड़े दयालु है,
भक्तों के बिन रह नहीं पाते ये तो बड़े ही किरपालु है,
जग के पालनहार से मोहित प्रेम तू क्यों न करता है,
सांवरिया सरकार के होते क्यों फ़िक्र तू करता है,
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