चिंता छोड़ के गुरु जी नु धया ले

चिंता छोड़ के गुरु जी न धया ले कारज सारे रास होंगे,

तन रोगी होता मन रोगी होता,
चिंता कर के कुझ नहियो होता,
मन दी वाधा गुरुआ न सौंप दे के कारज सारे रास होंगे,
चिंता छोड़ के गुरु जी न धया ले कारज सारे रास होंगे,

मन दिन वंगा गुरु हाथ सौंप दे के कारज सारे रास होंगे,
चिंता छोड़ के गुरु जी न धया ले कारज सारे रास होंगे,

जितना समा तू चिंता च लगाना है,
उतना समा तू अपना गवाना वे,
उस समय नु तू संब्ला बना दे गुरा दे गुण गा दे,एह कारज सारे रास होंगे,
चिंता छोड़ के गुरु जी न धया ले कारज सारे रास होंगे,

तन रोगी हुँदा मन रोगी हुँदा,
चिंता करके कुझ नहीं हुँदा,
मन दिया आवाज गुरा दे हाथ सौंप दे,एह कारज सारे रास होंगे,
चिंता छोड़ के गुरु जी न धया ले कारज सारे रास होंगे,

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