नन्हे हाथो से माँ इक अर्जी लगाई है

नन्हे हाथो से माँ इक अर्जी  लगाई है,
जरा सा ध्यान करो,
जरा सा ध्यान करो,
होती हइयो हां  दादी सब की सुनवाई है जरा सा ध्यान करो,

ना भाव कोई जानू न भक्ति पहचानू मैं बालक इक नादान केवल इतना मानु,
हर इक की बिगड़ी तो तूने ही बनाई है,
जरा सा ध्यान करो,
होती हइयो हां  दादी सब की सुनवाई है जरा सा ध्यान करो,

मुझको है सब मंजूर चाहे पास रखो या दूर,
लेकिन कभी जीवन में मत करना मुझे मगरूर,
बिन तेरे नहीं कोई बिलकुल सचाई है,
जरा सा ध्यान करो ,
होती हइयो हां दादी सब की सुनवाई है जरा सा ध्यान करो,

कच्ची मिटटी जैसा मेरा ये जीवन है जैसी मर्जी ढालो,
तुम को ही समर्पण है,
शर्मा सेवक तेरा तू उसकी सहाई हैजरा सा ध्यान करो.
होती हइयो हां दादी सब की सुनवाई है जरा सा ध्यान करो,
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