सज धज कर बैठ्या दादी जी

सज धज कर बैठ्या दादी जी,
क्यों बेठ्या बेठ्या मुश्कावे,
चलो नजर उतरा मैया की कही आज नजर न लग जावे,
सज धज कर बैठ्या दादी जी.....

सिर चुनरिया तारा की है,
माथे पे बोरलो न्यारो है,
गाल बीच हार है हीरो को,
और लागे सबने प्यारो है,
चलो नजर उतारा मइयां की,
कही आज नजर न लग जावे,
सज धज कर बैठ्या दादी जी,

लाल चुंडो हाथ में मेहँदी भी लाल है हाथ में,
झन झन करती पायल बाजे माँ सिंह पे चढ़ कर आई है,
चलो नजर उतारा मइयां की कही आज नजर न लग जाये,
सज धज कर बैठ्या दादी जी...

मन भावन प्यारी झांकी है,
या चितवन प्यारी प्यारी है,
नैनो से नैन मिले जो ही कोई हुक कालजे बल खावे,
जब नजर उतारा मैया की कही आज नजर न लग जावे,
सज धज कर बैठ्या दादी जी..

अरे जो रूप सजा कर माँ भगता के घर में आई है,
झोली भर लो दर्शन कर लो माँ आज खजाने ल्याई है,
जब नजर उतारा मईया की कही आज नजर न लग जावे,
सज धज कर बैठ्या दादी जी
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