कर चेत मेरी मइया क्यों देर लगावे है

कर चेत मेरी मइया क्यों देर लगावे है,
कद को थारे द्वार खड़े इब क्यों तरसावे है,

तू गांव थांदड़ में जा कर के विराजी है,
मन में है आश घनी थारे पर बाजी है,
संसार तेरी मैया नित ज्योति जगावे है,
कद को थारे द्वार खड़े......

मैं काली कोसा से हे मात चलो आइयो,
श्रदा के सिवा थारी कशू भेट नहीं लयायो,
तू अपने भग्तो का सब काम बढ़ावे है,
कद को थारे द्वार खड़े..

हे सहस भुजा वाली मने तेरा ही सहारा है,
हे दानधन वाली माँ मने थारो ही सहारा है,
अब सिर पर हाथ तेरो के काल विचारो है,
तेरी शरण घट के गुण हाथ लगावे है,
कद को थारे द्वार खड़े
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