मेरे घर आना साँवरिया

गज़ब की बांसुरी बजती थी, वृन्दावन बसैया की
तारीफ करूं मुरली की या, मुरलीधर कन्हैया की

मेरे घर आना साँवरिया, तुम्हे जाने न दूँगी ll
जाने ना दूँगी, तुम्हे जाने न दूँगी,
मेरे घर आना साँवरिया...........

मेरे घर आओगे तो, माखन खिलाऊँगी,
माखन खिलाऊँगी मैं, मिश्री खिलाऊँगी,
बजाने को ।॥, दूँगी बंसुरिया,तुम्हे जाने ना दूँगी,
मेरे घर आना साँवरिया..........

मेरे घर आओगे तो, दिल में बिठाऊँगी,
दिल में बिठाऊँगी मैं. नज़रों में बसाऊँगी,
बंद कर लूँगी ।॥, मैं नज़रिया, तुम्हे जाने ना दूँगी,
मेरे घर आना साँवरिया.........

मेरे घर आओगे तो, होली ख़िलाऊँगी,
होली खिलाऊँगी, गुलाल लगाऊँगी ,
रंग डालूँगी ।॥, मैं तो केसरिया, तुम्हे जाने ना दूँगी,
मेरे घर आना साँवरिया........

मेरे घर आओगे तो, सखियों को बुलाऊँगी ,
सखियों को बुलाऊँगी मैं, राधा को बुलाऊँगी,
फिर आ के ना ।॥, जाना साँवरिया, तुम्हे जाने ना दूँगी,
मेरे घर आना साँवरिया......

मेरे घर आओगे तो, अँगना सजाऊँगी,
अँगना सजाऊँगी मैं, हार भी पहनाऊँगी,
ओढ़न को ।॥, दूँगी कमरियाँ, तुम्हे जाने ना दूँगी,
मेरे घर आना साँवरिया........

अपलोड करता- अनिल भोपाल बाघीओ वाले
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