ले जा ये संदेसा ब्रिज का कान्हा

जा रे जा तू उहदों जाना हमको ज्ञान सीखा,
ले जा ये संदेसा ब्रिज का कान्हा को समजा,
रो रो के तेरी राधे रानी हो गई वावंरियाँ,
सुख गए आँखों के आंसू बीती जाए उमरियाँ,
के घर आजा सांवरियां सुना दे मीठी बांसुरियां,

तुझबीण मधुबन कितना सुना सुना लगता है
मधुवन का हर पंछी तेरी राहे तकता है,
मुरझाये सब फूल भाग के मुरझाई है कलियाँ,
सुख गये तरुवर के पते सुनी लागे गलियां,
के घर आजा सांवरियां सुना दे मीठी बांसुरियां,

गइयाँ के संग मात यशोदा नीर बहाती है,
भरी भरी माखन की मटकी तुम्हे भुलाती है,
हो गए नन्द उदास हो करते मन ही मन में बाते,
सावन बादो सी आँखों में होती है बरसते,
के घर आजा सांवरियां सुना दे मीठी बांसुरियां,

सोचे मात यशोदा माखन किसको बांटू गी,
माखन कौन चुराए गा मैं किसको दांतू गी,
सखियों की सारी बाते मुझको कौन सुनाये गा,
अब मैं किस से रुठु गी मुझे कौन मनाये गा,
के घर आजा सांवरियां सुना दे मीठी बांसुरियां,

कह गये आउ गा कल परसो बीत गये है बरसो,
ना जाने कितने बर्ष में पूरा होगा परसो,
वो नटखट वो ही अब ना जाने पीड़ पराई,
सुन सुन रोमी की भी आंखे भर भर आई,
के घर आजा सांवरियां सुना दे मीठी बांसुरियां,
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