संवारिये का शृंगार करे गे

आओ भगतो चले सँवारे के द्वार,
लेके फूल माला और हार संवारिये का शृंगार करे गे,
ग्यारस आई सजा श्याम का दरबार,
चलने को हो जाऊ त्यार संवारिये का शृंगार करे गे,


चम्पा चमेली जूही मोगरा गुलाब लो,
रजनी गन्दा  और गेंदा फूल लाजवाब लो,
फूलो से श्याम जी को आज हम सजाये गे,
आरती उतरे गे और छप्पन भोग लगाए गे,
लेके दिल में अपने श्रद्धा अपार,
चलो श्याम धनि के द्वार संवारिये का शृंगार करे गे,

सोना न चांदी चाहे हीरे ना मोती,
श्याम सँवारे को भाये जेवर न कोई,
फूलो की चाह उन्हें फूलो से प्यार है,
पुष्पों से ठाकुर का होता शृंगार है,
फूल सुगणदित लाओ लाओ खुशबु दार,
लेके जाऊ सँवारे के द्वार संवारिये का शृंगार करे गे,
चलने को हो जाऊ त्यार संवारिये का शृंगार करे गे,


जैकारो से गूंज उठी खाटू की नगरी,
भक्तो ने गाई है जब बाबा की आरती,
छप्पन भोगो का जब के वितरण हुआ है,
खाके परशाद मगन सबका मन हुआ है,
सबने मन शीश दानी का आभार,
करके श्याम जी को नमस्कार संवारिये का शृंगार करे गे,
चलने को हो जाऊ त्यार संवारिये का शृंगार करे गे,

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