जो मात पिता को न पूजे

जो मात पिता को न पूजे,  उसका जीवन बेकार है,
मात पिता से बढ़कर जग में, कोई तीरथ न धाम है,

जिस माँ ने तुझे जीवन देकर, इस जग में तुझे लाया है,
उँगली पकड़ कर, चलना फिरना, पढ़ना लिखना सिखाया है,
कैसे कैसे कष्ट उठाकर,  जीवन तेरा सजाया है,
इस ऋण कोई चुका न सका , उसका जीवन बेकार है,
जो मात पिता को न पूजे ,उसका जीवन बेकार है...

पिता ने अपने कंधे बिठाकर , बन बैठा तेरा घोड़ा है,
कदम कदम पर पिता ने ,चल के राह को तेरी जोड़ा है,
जीवन  साथी के मिलते, मात पिता को छोड़ा हैं,
दो मीठे शब्दो की चाहत नही, माया की दरकार हैं,
जो मात पिता को न पूजे ,उसका जीवन बेकार हैं,
मात पिता से भड़कर, कोई तीर्थ न थाम हैं

अब किया जो मात पिता, संग तेरा कल भी आएग,
बोया जैसा बीज हैं, तूने,  वेसा फल तू पाएगा,
आज पे क्यों इतराये इतना ,जग तो आना जाना हैं,
जो मात पिता को न पूजे ,उसका जीवन बेकार हैं,
मात पिता से भड़कर ,कोई तीर्थ न थाम हैं....

इस जग का हैं कोई बिदाथा , इस शक्ति को तुम जानो,
जो मात पिता को पहचाने, मिलता उसको भगवान हैं,
तुम लेलो दुआएं मात पिता की ,वही प्रभु का प्यार हैं,
मात पिता से भड़कर, कोई तीर्थ न थाम हैं,
जो मात पिता को न पूजे, उसका जीवन बेकार हैं,

क्यों करता तू धर्म कर्म हैं , सब झूठ तेरा प्यार हैं,
तू समझे जग को जीत लिया हैं ,पर सब से बड़ी तेरी हार हैं,
मात पिता की कर ले सेवा, बन्दे भव से पार हैं,
मात पिता से भड़कर ,कोई तीर्थ न थाम हैं
जो मात पिता को न पूजे ,उसका जीवन बेकार हैं,
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