शृंगार तेरा लखदातार किसने किया रे

शृंगार तेरा लखदातार किसने किया रे,
सिर मोरछड़ी प्यारी लागे मन मोह लिया रे,
शृंगार तेरा लखदातार किसने किया रे

तेरे सिर पे मुकत चम् चम् चमके जिसमे हीरा है धमके,
छवि सूंदर प्यारी लगती है जाओ मैं तेरे सद के,
दिल लुटे लट गुंगरली है बांके की अदा मतवाली है हमे लूट लिया रे,
शृंगार तेरा लखदातार किसने किया रे

भरता तू सबकी झोली है रंग से राज कराया,
बांटे भर भर के खजाने तू तो लाख दातार कहाया,
सारे जग ने तुझको पूजा है तुझसे ना कोई दूजा कमाल किया रे,
शृंगार तेरा लखदातार किसने किया रे

हारे का बना सहारा है और शीश का दानी तू है,
नीले घोड़े वाला है अमर बलदानी तू ही तो है,
शिखर का तू ही राजा है लाखो को तूने नवाजा है,
भाव से पार किया है,
शृंगार तेरा लखदातार किसने किया रे
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