अब तुम बिनु कछु नाहीं भावत कान्हा

अब तुम बिनु कछु नाहीं भावत कान्हा,
जिय गति जल बिनु मीन की नाईं,
मोहें काहे नाहीं दरस दिखावत कान्हा,
अब तुम बिन कछु नाहीं भावत कान्हा....

अधरन गीत भ्रमर नाहीं गूंजत,
मोरे हिंय हिलोर नाहीं आवत कान्हा,
अब तुम बिन कछु नाही भावत कान्हा.....

मिथ्या जगत रास नाहीं मोहें,
काहे चरनन नाहीं लगावत कान्हा,
अब तुम बिनु कछु नाहीं भावत कान्हा........

ऊर धरि नाथ तोहें बस ध्याऊँ,
मोहें काहे नाहीं दास बनावत कान्हा,
अब तुम बिनु कछु नाहीं भावत कान्हा.....

आभार: ज्योति नारायण पाठक
श्रेणी
download bhajan lyrics (772 downloads)