जब से पकडे चरण

जब से पकडे चरण साई के मन भूधि को छोड़ दिया,
खुद को करके उसके अर्पण अपनी खुदी को छोड़ दिया,
जब से पकडे चरण साई के मन भूधि को छोड़ दिया,

साई शरण की मस्ती देखो चारो और खुमारी है,
इस संगत का हर मतवाला साई की जिमेदारी है,
जिसने देखा घर साई का अपनी गली को छोड़ दियां,
खुद को करके उसके अर्पण अपनी खुदी को छोड़ दिया,
जब से पकडे चरण साई के मन भूधि को छोड़ दिया,

सब सोचत है हम साई से मिलने मिलाने आये है,
हम जानत है इसी बहाने जान चढ़ाने आये है,
इस कारण से हर जंगल को हर बस्ती को छोड़ दिया
खुद को करके उसके अर्पण अपनी खुदी को छोड़ दिया,
जब से पकडे चरण साई के मन भूधि को छोड़ दिया,

यहाँ कोई कमजोर नहीं है यहाँ कोई मजबूर नहीं,
चलते जाना फ़र्ज़ निभाना मंजिल अपनी दूर नहीं,
बीच सफर में रह जायेगा जिसने जी को छोड़ दिया,
खुद को करके उसके अर्पण अपनी खुदी को छोड़ दिया,
जब से पकडे चरण साई के मन भूधि को छोड़ दिया,
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