पिंडा विचो पिंड सुनी दा

गोविन्द बोलो हरी गोपाल बोलो,
राधा रमण हरी गोविन्द बोलो.

पिंडा विचो पिंड सुनी दा खेडा,
उस दियां दो कुढ़ियाँ पूछन श्याम दा घर है केहडा,
मोर मुक्त मथे तिलक विराजे हाथ मखाना दा पेडा,
बंसी बजा श्यामा दिल नही लगदा मेरा


पिंडा विचो पिंड सुनी दा खाड़ी,
उस दियां दो कुढ़ियाँ सी एक रुक्मण राधा प्यारी,
रुक्मण दा सी विवहा हो गया राधा अजे कवारी,
आपे ले जान गे आके कृष्ण मुरारी,


पिंडा विचो पिंड सुनी दा नन्द गाव,
उस दियां दो बाल सुनी दे कृष्ण ते बलराम,
ओ दर्शन करके मैं खिल उठियाँ हो गए चारो धाम,
लेके हरी दा नाम दुनिया तर गई है,

पिंडा विचो पिंड सुनी दा खेडा,
मैं ता तेरी होगी श्याम तू वी होजा मेरा,
बंसी बजा श्यामा दिल नही लगदा मेरा,

पिंडा विचो पिंड सुनी दा सेहरा,
मोह माया विच फस दी जावा पार लगादे वेह्डा,
जल्दी आ श्यामा मैं तेरी तू मेरा ,

गोविन्द  बोलो गोपाल बोलो,
राधा रमण हरी गोविन्द बोलो.
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