कुछ तुम बोलो कुछ हम बोले

क्यों चुप बैठे हो लगता है माजरा,
कुछ तुम बोलो कुछ हम बोले ओ संवारा,
है तेरे नाम की मस्ती में दिल बावरा,
ओ संवारा ओ संवारा

दो चार कदम पर तुम हो दो चार कदम पर हम है,
बस इतनी सी दुरी है फिर ख़त्म हुए हम सब है,
हर पल दिल में रहते हो तुम संवारा,
क्यों चुप बैठे हो लगता है माजरा
कुछ तुम बोलो कुछ हम बोले .....

कैसी जी प्रीत बड़ाई कब से है रीत चलाई,
जैसे ही मुरली बजाते राधा है दोहरी चली आई,
तुम आज भी वोही जादूगर हो ओ संवारा,
क्यों चुप बैठे हो लगता है माजरा
कुछ तुम बोलो कुछ हम बोले...

ऐसा है एक एक प्रेमी हर पल वो तुझपे मिटा है,
आकाश में सुना पैन था तेरे प्यार की छाई घटा है,
अब बस संवारा बस संवारा ओ संवारा हां संवारा
क्यों चुप बैठे हो लगता है माजरा
कुछ तुम बोलो कुछ हम बोले  
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