क्यूँ हो गया पत्थर दिल तेरा पहाड़ा विच्च रहन वालिये

क्यूँ हो गया पत्थर दिल तेरा, पहाड़ा विच्च रहन वालिये।
कानू ला लिया गुफा दे विच्च डेरा, पहाड़ा विच्च रहन वालिये॥

इक अपनी मात सुनावण लायी, कईआ दीया गल्लां सुनिया मैं,
मैं एक दो दी नहीं गल करदा, है परख लई एह दुनिया मैं।
माये पाया गमां ने घेरा, पहाड़ा विच्च रहन वालिये॥

तेरी ममता पत्थर हो गयी ए, पत्थर दे विच्च माँ रह रह के,
मेरा हाल फकीरा हो गया ए, तेरी ही गम माँ सह सह के।
माये दिल टूटा ए मेरा, पहाड़ा विच्च रहन वालिये॥

जिन्ना दी अम्बडी रूस जावे, ओ पुत्तर दर दर रुल जांदे,
गैरा दी गल मैं करदा नहीं, अपने वी सारे भूल जांदे।
माये पा बच्चेआ वाल फेरा, पहाड़ा विच्च रहन वालिये॥

जो फूल डाली तो टूट जावन, ओ मन्नेया माँ कुम्ला जांदे,
फिर माँ वी चैन नहीं लै सकदी, ओ रोग अजेहा ला जांदे।
माँ कट दे चौरासी वाला फेरा, पहाड़ा विच्च रहन वालिये॥

अजे वी छड पहाडा नु, माँ आजा घर गरीबा दे,
तेनु मिलते तेरे दर्शी दे खुल जावन बूहे नसीबा दे।
कर हरदे आन बसेरा, पहाड़ा विच्च रहन वालिये॥
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