मेरे विच ना गुरु जी गुण कोई

मेरे विच ना गुरु जी गुण कोई
औगना दी मैं भरी आ

हम मैले तुम उज्वल करते,
सरब कला के ज्ञाता,
औगना दी मैं भरी आ..

मैं डूबदी नु पार लगाओ,
ओ तेरे चरणा च आन खलोती,
औगना दी मैं भरी आ

हम पापी तुम पाप खंडन,
सदा सदा मेहरबाना,
औगना दी मैं भरी आ

मैं पापन दी झोली भरदो,
ओ तेरे दर उते अरजा गुजरा,
औगना दी मैं भरी आ

भूले को गुरु मार्ग पाया,
अवर त्याग हर हर भक्ति लाया,
मैं सदा सदा बलिहारी,
औगना दी मैं भरी आ

ना सोनी ना दोलत पल्ले,
किवे मैं गुरा नु मनावा,
औगना दी मैं भरी आ..

अम्बला वालियां सब नंग गईया,
मैं रह गई ओगन भारी,
औगना दी मैं भरी आ......

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