अपने रंग विच रंग देओ जी

अपने रंग विच रंग देओ जी,
के मैलिया ने साड़ियाँ रूहा॥

हम मैले तुम उजल करते,
हम निर्गुण तू दाता,
हम मूरख तुम चतर सियाणे,
तुम सर्व कला के ज्ञाता जी मैलिया ने साड़ियाँ रूहा.....

माधो हम ऐसे तू ऐसा
माधो हम ऐसे तू ऐसा
हम पापी तू पाप् खंडन
निकोठाकुर देसा जी मैलिया ने साड़ियाँ रूहा.....

तुम सब साजे साज निवाजे
जियो पिंड दे प्राणा
निर्गुण और गुण नाही कोई
तुम दान दियो मेहरबाना जी मैलिया ने साड़ियाँ रूहा......

तुम निधान अटल सुलताना
जिया जंत सब जांचे
कहो नानक हमे है हवाला
राखो सब संतन के पीछे जी मैलिया ने साड़ियाँ रूहा.....

तुम करो भला हम भला नाही जाने
तुम सदा सदा दयाला
तुम सुखदाई तुम पुरख विधाते
तुम राखो अपने वाला जी मैलिया ने साड़ियाँ रूहा......
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