आये तेरे भवन देदी अपनी शरण

आये तेरे भवन देदी अपनी शरण,
रहे तुजमे मगन थाम कर ये चरण,
तन मन में भक्ति ज्योति तेरी हे माता जलती रहे,
आये तेरे भवन देदी अपनी शरण.......

उत्सव मनाये नाचे गाये,
चलो मैया के दर जाए,
जय माता दी ,जोर से बोलो,
चारो दिशाए चार खाबे बनी है,
मंडप पे आस आसमान की चादार तानी है,
सूरज भी किरणों की माला ले आया,
कुदरत ने धरती का आंगन सजाया,
करके तेरे दर्शन झूमे धरती गगन,
सनन गाये पवन सभी तुझमे मगन,
तन मन में भक्ति .......

फुले ने रंगों से रंगोली सजाई
सारी धरती ये महकाए,
जय माता दी जोर से बोलो,
चरणों में बहती है गंगा की धारा,
आरती का दीप लगे हर एक सितारा,
पुरवैया देखो चवर कैसे दुलाये,
ऋतुएं भी माता का झुला झुलाये,
ओ पके भक्ति का धन ,हुआ पवन ये मन,
करके तेरा सुमरिन खुले अंतर नयन
तन मन में भक्ति .......
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