वाह वाह क्या बात है

सिंदूरी तन मन को मोहे मुखड़ा लाल ही लाल है,
रूप तुम्हारा देख के बाला हाल हुआ बेहाल है,
लाल लंगोटा तन पे सोहे और गदा तेरे हाथ है,
वाह वाह क्या बात हैं वाह वाह क्या बात हैं.......

छवि तुम्हारी ऐसी बाला जैसी कोई और नहीं,
तीन लोक में तेरे जैसा दूजा है सिरमौर नहीं,
सज धज के बैठे हो बाला बड़ा निराला ठाट है,
वाह वाह क्या बात हैं.............

रूद्र रूप में प्यारे लगते सबका चित्त चुराते हो,
भक्त तुम्हारा भजन करे तो मन ही मन मुस्काते हो,
अम्बर से तुझपे होती रे फूलों की बरसात है,
वाह वाह क्या बात हैं...........

आज तुम्हारा दर्शन करने सेवक तेरे आए है,
‘चोखानी’ कहे तूने ही तो बिगड़े काम बनाए है,
भक्त तुम्हारी महिमा गाए कीर्तन की ये रात है,
वाह वाह क्या बात हैं.............

सिंदूरी तन मन को मोहे मुखड़ा लाल ही लाल है,
रूप तुम्हारा देख के बाला हाल हुआ बेहाल है,
लाल लंगोटा तन पे सोहे और गदा तेरे हाथ है,
वाह वाह क्या बात हैं,
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