गोकुल का कृष्ण कन्हैया

गोकुल का कृष्ण कन्हैया सारे जग से निराला है,
सांवली सुरतीया है और मोर मुकुट वाला है,

भोले भाले मुखडे की बात ही निराली है,
हाथो मे बंसी है और वेजँति माला है,
गोकूल का कृष्ण कन्हैया सारे जग से,

काली देह मे कूद पड़े नाग को नचैय्या है,
केहते है उस दिन से सांवरे को काला है,
गोकूल का कृष्ण कन्हैया सारे जग से ,

इन्द्र का घमंड तोड़ा गोवर्धन उठा करके,
तुमने इक उँगली पे पर्वत को सम्भाला है,
गोकूल का कृष्ण कन्हैया सारे जग से,

मीरा के मनमोहन राधा के बनवारी,
नाच तेरी बंसी पे सारी बृजबाला है,
गोकूल का कृष्ण कन्हैया सारे जग से,

गोकुल का कृष्ण कन्हैया सारे जग से निराला है
सांवली सुरतीया है और मोर मुकुट वाला है
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