मुझे पार लगाने की हामी भर लो

मेरे गरीब नवाज़ मेरी बांह धर लो,
मुझे पार लगाने की हामी भर लो....

जिस राह से मेरे भगवन गुजरे,
उस राह में फूल बिछाऊँ,
चरण कमल की रज उनकी,
मैं मस्तक अपने लगाऊँ,
कृपा हो जो मेरे प्रभु की मुझ पर,
तो दिल का हाल बताऊँ,
मेरे गरीब नवाज़......

मेरे मालिक मैं आपकी खातिर,
हृदय शैय्या बिछाऊँ,
सेज बनाकर पलकों की,
फूलों से उन्हें सजाऊँ,
कृपा हो जो मेरे प्रभु की मुझ पर,
तो मन में उन्हें बिठाऊँ,
मेरे गरीब नवाज़......

हे तारणहार भव से आपने,
गुणी अवगुणी सब तारे,
कोटि कोटि मुझ जैसे पापी,
कष्टों से बड़े उबारे,
कृपा हो जो मेरे प्रभु की मुझ पर,
तो पार मैं भी पाऊँ,
मेरे गरीब नवाज़......

चारों कोने कीचड़ भरे हैं,
मैं कैसे मन को धोऊँ,
बैठ किनारे रब जी मेरे,
जार जार मैं रोऊँ,
कृपा हो जो मेरे प्रभु की मुझ पर,
पावन गंगा मैं भी नहाऊँ,
मेरे गरीब नवाज़ राजीव की बांह धर लो,
मुझे पार लगाने की हामी भर लो.....

©राजीव त्यागी नजफगढ़ नई दिल्ली
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