मैं तो बरसाने कुटिया बनाऊंगी सखी

मैं तो बरसाने कुटिया बनाऊंगी सखी,
बनाऊंगी सखी रह पाऊंगी सखी,
मैं तो बरसाने कुटिया बनाऊंगी सखी.....

श्री जी के महलों से रज लेके आऊंगी,
पीली पोखर का उसमे जल भी मिलाऊंगी,
गुरुदेव को बुलवाकर मैं नीम रखाऊंगी,
मैं तो बरसाने कुटिया बनाऊंगी सखी......

चंदन मंगाऊंगी मैं सखियों के गांव से,
झोपड़ी सजेगी मेरी राधा-राधा नाम से,
राधा राधा मेरी राधा राधा, राधा राधा मेरी राधा राधा,
सखियों को बुलवाकर कीर्तन करवाऊंगी,
मैं तो बरसाने कुटिया बनाऊंगी सखी......

भजन करूंगी सारी रेन में बिताऊंगी,
दरवाजा बंद करके ज़ोरो से रोऊंगी,
मेरी चीखे सुन करके वो रुक नहीं पाएगी,
मैं तो बरसाने कुटिया बनाऊंगी सखी......

आयेंगी किशोरी जी तो भोज मैं खवाऊंगी,
लाडली किशोरी जी की चवर में ढुराऊंगी,
वो शयन में जाएंगी मैं चरण दबाऊंगी,
मैं तो बरसाने कुटिया बनाऊंगी सखी......
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