गोकुल का ग्वाला बरसाने की राधा

गोकुल का ग्वाला बरसाने की राधा,
छोड़ कलाई साँवरे,
मत कर तू हुड़दंग,
तेरा मेरा मेल ना,
मत डारे मोपे रंग,
तू काला काला मैं गोरी गोरी साँवरे,
कैसे खेलु तेरे संग होली साँवरे.....

तू काला काला मैं गोरी गोरी साँवरे,
कैसे खेलु तेरे संग होली साँवरे।
तू तो है छलिया महा रंग रसिया,
मैं हूँ रे गाँव की गौरी साँवरे,
तू काला काला मैं गोरी गोरी साँवरे,
अरे कैसे खेलूँ तेरे संग होली साँवरे………..

कान्हाँ तेरे काँधे पर कारी कामरियाँ,
रेशम की मेरी सतरंगी चुनरियाँ,
तू ग्वाला मैं चंदा की चकोरी साँवरे,
अरे कैसे खेलु तेरे संग होली साँवरे,
तू काला काला मैं गोरी गोरी सांवरे,
अरे कैसे खेलूँ तेरे संग होली साँवरे……..

मैं अपने महलों में खेलूँ कन्हैया,
दिन भर चराता फिरे तू तो गैया,
घर घर तू करे, माखन की चोरी साँवरे,
अरे कैसे खेलु तेरे संग होली साँवरे,
तू काला काला मैं गोरी गोरी साँवरे,
अरे कैसे खेलूँ तेरे संग होली साँवरे…….

काहे को तू मेरे पीछे रै,
रंग तेरा मुझपे एक भी चढ़े रे,
काहे को करे तू सीना जोरी साँवरे,
अरे कैसे खेलु तेरे संग होली साँवरे,
तू काला काला मैं गोरी गोरी साँवरे,
अरे कैसे खेलूँ तेरे संग होली साँवरे……….
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