खाटू वाले के संग होली

ओहे खाटू वाले श्याम धनी तू मोहे प्यारो लागे से,
अब तो हाथ पकड़ले बाबा क्यू इतना इतना तरसावे से,
मेरा अब तो हाथ पकड़ले बाबा क्यू इतना इतना तरसावे से.....

ओ फागुन की मैं होली बाबा तेरे संग में खेलूंगा,
रंग गुलाल सब बरसे तेरे ऊपर फूल बीखेरूँगा,
देख तेरे भगतो की मस्ती,
मेरा नाचन ने जी चावे से,
अब तो हाथ पकड़ले बाबा क्यू इतना तरसावे से,
मेरा अब तो हाथ पकड़ले बाबा क्यू इतना इतना तरसावे से……

तेरा रूप आलौकिक लागे जैसे उगता सूरज चमके से,
तू सेठ है बाबा इस जग का तेरे सहारे हम सब पनपे से,
किरपा कर मुझ निर्धन पे,
बाबा अब क्यों मुझे सतावे से,
अब तो हाथ पकड़ले बाबा क्यू इतना इतना तरसावे से,
मेरा अब तो हाथ पकड़ले बाबा क्यू इतना इतना तरसावे से….

है कबसे बाट मैं देखू बाबा कब तू शरण बुलावेगा,
ओ मेरे खुवावो में तू आवे बाबा कद मेरे खुवाव सजावेगा,
मने सुना तेरे दर पे जो आवे,
वो खाली हाथ ना जावे से,
अब तो हाथ पकड़ले बाबा क्यू इतना तरसावे से,
मेरा अब तो हाथ पकड़ले बाबा क्यू इतना इतना तरसावे से……

हारे को सदा जिताया ये तेरी अनोखी माया है,
सारा जीवन कटे मौज में जिनके उपर तेरा साया है,
बना ठाकुर नितिन को तू दुलारा,
ये एके, अंकित चाहवे से,
अब तो हाथ पकड़ले बाबा क्यू इतना तरसावे से,
मेरा अब तो हाथ पकड़ले बाबा क्यू इतना इतना तरसावे से….
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