भगवान की शरण में जिसका निवास होगा

भगवान की शरण में, जिसका निवास होगा,
गुरु की शरण में जिसका निवास होगा,
जग में कभी न उसका चेहरा उदास होगा,
भगवान की....

प्रभु तो हरेक दिल में, रहता है घर बनाकर,
इन्सान छूढ़ता है क्यों, दूर-दूर जाकर,
अज्ञानता का मोटा परदा ज़रा हटा कर,
इक बार देख ले तू गुरु के समीप आकर,
चहुँ ओर से तुम्हारा हरदम विकास होगा,
जग में कभी न उसका चेहरा उदास होगा,
भगवान की...

परमात्मा को तुमने दिल से नहीं पुकारा,
बाहर के चक्षुओं से, बाहर उसे निहारा,
अंत:करण के भीतर, देखा नहीं नज़ारा,
तुम ही कहो कि कैसे कल्याण हो तुम्हारा,
जब-जब उसे ढूँढोगे, प्रभु आस पास होगा,
जग में कभी न उसका चेहरा उदास होगा,
भगवान की....

जैसा करम करोगे, वैसा ही फल मिलेगा,
कीकर की टहनियों पर कैसे कमल खिलेगा,
कोई लाख सर खपा ले, मुर्दा नहीं जियेगा,
चिड़ियां की चोच से तो शर्बत नहीं हिलेगा,
ऐसें विफल तुम्हारा, सारा प्रयास होगा,
जग में कभी न उसका चेहरा उदास होगा,
भगवान की....

कहते हैं लोग प्रभु तो, देवों का देवता है,
परमाणुओं से छोटा, आकाश से बड़ा है,
उसके समान व्यापक, कोई न दूसरा है,
जिसमें न वो बसा हो दुनियां में चीज़ क्या है,
जग में पथिक तुझे भी ऐसा आभास होगा,
जग में कभी न उसका चेहरा उदास होगा,
भगवान की....
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