पाया है श्याम से

( कलमकार है वो ऐसा,
जो आँखें मीच लिखता है,
किस्मत में जो ना हो,
वो वही चीज लिखता है,
जिन्हे मिलती है ठोकर,
जहां के लोगों से,
उन्हें मेरा श्याम अपना,
दिल अजीज लिखता है। )

कहता हूँ गर्व से मैं,
कहता हूँ शान से,
किस्मत में जो नहीं था,
वो पाया है श्याम से,
किस्मत में जो नही था,
वो पाया है श्याम से.....

हाथों से लिख दी श्याम ने,
खुद जिसकी दास्ताँ,
जीवन सफर में उसका फिर,
कोई रोके ना रास्ता,
मंजिल भी मिल रही है,
कितने आराम से,
किस्मत में जो नही था,
वो पाया है श्याम से........

ना ही अहम है धन का,
ना रुतबे का है गुरुर,
फिर भी जमाना कह रहा,
मुझपे चढ़ा सुरूर,
ये बेखुदी है मुझको,
भजनों के जाम से,
किस्मत में जो नही था,
वो पाया है श्याम से.......

ना जानू मैं कला कोई,
ना मुझमे है हुनर,
सब खेल मेरे श्याम के,
सब इसका ही असर,
'सोनू' ना अपने दम से,
ना अपने काम से,
किस्मत में जो नही था,
वो पाया है श्याम से........

कहता हूँ गर्व से मैं,
कहता हूँ शान से,
किस्मत में जो नही था,
वो पाया है श्याम से,
किस्मत में जो नही था,
वो पाया है श्याम से.......
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