हरी नाम का प्याला पी लो रे

पीना है हरी नाम का प्याला पी लो रे,
जीना है तो हरि शरण में जी लो रे....

जीवन है 2 दिन का मेला चला चली का खेला,
छूट जाएगा माल खजाना नहीं चले एक ढेला,
मूरख मनवा श्याम का प्याला पी लो रे.....

दुनिया है काजल की कोठार सोच समझ कर चलना,
लगे ना दागी तन पर कोई हरि भजन नित रहना,
हरि भजन रस नाम का प्याला पी लो रे....

माया में तु फस कर बंदे करता मेरा मेरी,
आएगा जब उसका बुलावा नहीं चलेगा तेरी,
माया के जंजाल से हटके जी लो रे....

गीतकार सुरेंद्र निषाद बिश्रामपुर  
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