काली चला रहीं तलवार

काली चला रहीं तलवार,
चंड मुंड पकड़ पकड़ के मारे....

जब काली रणभूमि में आई,
वो कर रही असूरो का नाश,
चंड मुंड पकड़ पकड़ के मारे.....

जब काली कलकत्ते में आई,
उनके चरणों में लेटे भोले नाथ,
चंड मुंड पकड़ पकड़ के मारे......

जब भोले पैरों में पड़ गए,
काली का हो गया गुस्सा शांत,
चंड मुंड पकड़ पकड़ के मारे......

जब काली किर्तन में आई,
भगतो काली कर दिया बेड़ा पार,
चंड मुंड पकड़ पकड़ के मारे......
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