मेरे राम लखन दो प्यारे

मेरे राम लखन दो प्यारे प्यारे,
दशरथ की आँख के तारे,
और सीता माँ का क्या कहना क्या कहना....

जन्मो जन्मों के फल से इनके दर्शन हमें होते हैं,
पूजा नहीं जिनने इनको उनके भाग सदा सोते हैं,
मीले इनका जो प्यार हो हर छन बहार,
अरे इनके चरण में नित रहना नित रहना....

हम दीपक है ये बाती जाकी जोत जले दिन राती,
ये तो हैं चन्दा सूरज और हम धरती के वासी,
करें मिलके पुकार प्रभु हमको निहार,
तुझसे बस इतना कहना है कहना.....

इनकी पूजा मे "राजेन्द्र" जो इतना कर पाएं,
श्रद्धा सुमन चढ़ाकर वो भव सागर तर जायें,
अरे ये है तारन हार देंगे सबको उबार,
इनकी सेबा में सब रहना सब रहना.....
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