बूरबक बनावेल ना आवे ल दशहरे में

सब कमी बाटे सईया जान तानी तहरे में,
बूरबक बनावेल ना आवे ल दशहरे में,
हमके फसाव तार बात के ककहरे में,
बूरबक बनावेल ना आवे ल दशहरे में.....

लाले लाले आँख कके, ताके ली बईठ के,
देलो परसादी अम्मा फेंक देली छींट के,
भोरे भोरे फूल लावे जाई जब बाहरा,
घरवा देवरा लगाई देला लहरा,
कहतारे ससुर जी की चल जाना सहरे में,
बूरबक बनावेल ना आवे ल दशहरे में.....

बोले खाती बोली सभे खोजेला बहाना,
कही के बझिनिया मारे लोग ताना,
रजऊ राकेश बोल कहवा हम जाई,
तहरा के दुःख आपन केतना बताई,
एकरा से नीमन रही पापा जी के पहरे में,
बूरबक बनावेल ना आवे ल दशहरे में....
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