माँ के भवन के तले

हे माँ के भवन के तले,
जगदीयां ज्योत जले,
पहाड़ गंगा का निर्मल पानी,
नहाते ही पाप कटे,
हे माँ के भवन के तले,
जगदीयां ज्योत जले.....

सुहा सुहा चोला अंग विराजे,
केसर तिलक लगे,
हे माँ के भवन के तले,
जगदीयां ज्योत जले……

नंगे नंगे पैरों अकबर आया,
सोने का छत्तर चढ़े,
हे माँ के भवन के तले,
जगदीयां ज्योत जले……

ध्यानू भगत मैया दर तेरे आए,
दर्शन सबको मिले,
हे माँ के भवन के तले,
जगदीयां ज्योत जले….

हे माँ के भवन के तले,
जगदीयां ज्योत जले,
पहाड़ गंगा का निर्मल पानी,
नहाते ही पाप कटे,
हे माँ के भवन के तले…..
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