इतना बता दे मोहन कैसे तुम्हे रिझाऊँ

प्रेरणा स्रोत - श्रद्धये श्री विनोद अग्रवाल जी को समर्पित

तर्ज .. तेरी याद में मेरा दिल बेकरार हो रहा है...

इतना बता दें मोहन, कैसे तुम्हे रिझाऊँ,
इतना बता दें प्यारे, कैसे तुम्हे मनाऊँ....

रहे रूठे  तुम जो  मोहन, एक पल मैं जी न पाऊ,
कितनो के दर पे भटकूँ, भला किसको मैं पुकारूँ,
थामो जो हाथ मेरा नित् नित तुम्हे रिझाऊँ,
इतना बता दो मोहन....

हो जो तुम करूणा सागर, करूणा मुझे दिखा दो,
इन आँखों की मस्ती के प्याले मुझे पिला दो,
सुन्दर छवि दिखा कर दर्शन मुझे दिखा दो  ।।।

मोहन जो कृपा कर दो, बृज धाम में बुलाओ,
प्यारे जो कृपा कर दो. बृज धाम में बुलाओ,
दर पर बिहारी जी की, सुन्दर छवि दिखाओ ।।।

गुरुवर की प्रेरणा से, तेरे दर पे हुँ मैं आया,
प्यारे तेरी  कृपा से ही, संतो का संग पाया,
सुने पड़े हृदय में, भक्ति अलख जगाया ।।।

जीवन में जब भी कान्हा मैंने तुम्हें पुकारा,
ओ मुरली वाले मोहन मिला तेरा ही सहारा,
तेरी ही भक्ति में प्यारे, जीवन मैं अब विताऊ ।।।

माना कि हम अधम हैं, पर है तेरे सहारे,
जीवन में जब भी हारे,  मिले हारे के सहारे,
इस सुन्दर युगल छवि पर बलिहारी मैं तो जाऊ ।।।

श्री जी मेरी अरज है, निज चरणों मे रख लीजो,
श्री हरिदास जी सी,  सेवा मोहे भी दीजो,
राधे राधे राधे, राधे जु कृपा कीजो ।।।

इतना बता दें मोहन, कैसे तुम्हे रिझाऊँ,
इतना बता दें प्यारे,कैसे तुम्हे मनाऊँ....

जय जय श्री राधे....
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