रघुवर ने धनुष को दिया तोड़

रघुवर ने उठाकर धनुष को दिया तोड़,
जय-जय की झंकार मची है चारों ओर....

धनुष को टूटा सुनके सिया मुस्कुराई,
आके गले में जयमाला पहनाई,
जय माला पहनाकर लोगों ने किया शोर,
जय-जय की झंकार मची है चारों ओर.....

धनुष को टूटा सुनकर परशुराम आए,
आके सभा में कड़े वचन सुनाएं,
वचनों को सुनकर के हुई है तोड़फोड़,
जय-जय की झंकार मची है चारों ओर....

राजतिलक सुन कर मात घबराए,
आकर राजा को अपने वचन सुनाएं,
वचनों को सुनकर के हुए हैं बेहोश,
जय-जय की झंकार मची है चारों ओर....

भरत ने पूछा माता राम कहां हैं,
राम कहां है माता लखन कहां हैं,
माता ने बतलाया गए है वन की ओर,
जय-जय की झंकार मची है चारों ओर....
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