मेरा हरी से मिलन कैसे होय

मेरा हरी से मिलन कैसे होय,
खिड़की तो सातो बंद पड़ी,
ग्यारस मैया से मिलन कैसे होय,
खिड़की तो सातों बंद पड़ी.....

पहली खिड़की खोल के देखू,
वहां मकड़ी का जाल,
मोपे इतना ना बनी मेरे राम,
झाड़ू तो या मैं मारती चलूं,
ग्यारस मैया से मिलन कैसे होय,
मेरा हरी से मिलन कैसे होय,
खिड़की तो सातो बंद पड़ी.....

दूजी खिड़की खोल कर देखू उसमे घोर अंधेरा,
मोपे इतना ना बनी मेरे राम,
दिया तो यामे जोड़ती चलूं,
ग्यारस मैया से मिलन कैसे होय,
मेरा हरी से मिलन कैसे होय,
खिड़की तो सातो बंद पड़ी.....

तीजी खिड़की खोल कर देखू वहां गंगा की धार,
मोपे इतना ना बनी मेरे राम,
गोता तो यामे मारती चलूं,
ग्यारस मैया से मिलन कैसे होय,
मेरा हरी से मिलन कैसे होय,
खिड़की तो सातो बंद पड़ी.....

चौथी खिड़की खोलकर देखू उसमें कपिला गाय,
मोपे इतना ना बनी मेरे राम,
सेवा तो यामे करती चलू,
ग्यारस मैया से मिलन कैसे होय,
मेरा हरी से मिलन कैसे होय,
खिड़की तो सातो बंद पड़ी.....

पांचवी खिड़की खोल कर देखू वहां तुलसी का बाग,
मोपे इतना ना बनी मेरे राम,
तुलसी की बगिया सीचती चलू,
ग्यारस मैया से मिलन कैसे होय,
मेरा हरी से मिलन कैसे होय,
खिड़की तो सातो बंद पड़ी.....

छठवी खिड़की खोल कर देखू उसमे कन्हैया आप,
मैंने दर्शन किए भरपूर खिड़की तो सारी खुली पड़ी,
ग्यारस मैया से मिलन कैसे होय,
मेरा हरी से मिलन कैसे होय,
खिड़की तो सातो बंद पड़ी.....

सातवीं खिड़की खोल कर देखू वहां मैया जी आप,
मेरा जन्म सफल हुआ आज,
खिड़की तो सातो खुली पड़ी,
मैंने सेवा करी दिन रात खिड़की तो सातों खुली पड़ी,
ग्यारस मैया से मिलन कैसे होय,
मेरा हरी से मिलन कैसे होय,
खिड़की तो सातो बंद पड़ी.....
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