रोम रोम में रम रहा

रोम रोम में रम रहा,
कण कण में तू बस रहा,
रोम रोम में रम रहा,
कण कण में तू बस रहा...

तेरी शक्ति से ही देखो संसार सारा चल रहा,
रोम रोम में रम रहा,
कण कण में तू बस रहा...

अग्नि की तू है अगन,
जल की तू है शीतलता,
सूरज में तेरी तपन,
चांदनी में तू चमक रहा,
नदियां चलें है तेरी धारा,
सागर तुझसे बह रहा,
रोम रोम में रम रहा,
कण कण में तू बस रहा,
तेरी शक्ति से ही देखो संसार सारा चल रहा,
रोम रोम में रम रहा……

फूलो में खुशबू तेरी,
श्रृंगार में है रस तेरा,
मोती माला कुंडल देखो बखान तेरा गा रहा,
अधभूत रूप निराला तेरा,
दर्शन देखो दे रहा,
रोम रोम में रम रहा,
कण कण में तू बस रहा,
तेरी शक्ति से ही देखो संसार सारा चल रहा,
रोम रोम में रम रहा……
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