मेरा अब क्या होगा भोलेनाथ बीच बुढ़ापे में

मेरा अब क्या होगा भोलेनाथ बीच बुढ़ापे में,
बीच बुढ़ापे में, बीच बुढ़ापे में,
मेरा अब क्या होगा भोलेनाथ.....

संगमरमर का महल बनाया,
कूलर एसी पंखा लगवाया,
जड़ी शीशम की किवाड़ बीच बुढ़ापे में,
मेरा अब क्या होगा भोलेनाथ....

बेटे का मैंने ब्याह कराया,
बहू बेटों को घर में बिठाया,
अब मेरी खटिया बाहर बीच बुढ़ापे में,
मेरा अब क्या होगा भोलेनाथ....

मेरी पसंद का खाना नहीं मिलता,
जैसा भी मिलता खाना पड़ता,
रोटी ऊपर अचार बीच बुढ़ापे में,
मेरा अब क्या होगा भोलेनाथ.....

बेटा नहीं सुनता बहू नहीं सुनती,
पोतो की  मनमर्जी चलती,
मेरा बेटा हुआ गुलाम बीच बुढ़ापे में,
मेरा अब क्या होगा भोलेनाथ.....

हार्ड भी सूखा मेरा मास भी सूखा,
घुटनों का दम मेरा निकला,
मेरा जीना हुआ बेकार बीच बुढ़ापे में,
मेरा अब क्या होगा भोलेनाथ.....

जैसी करनी वैसी भरनी,
आ जाओ अब भोले जी की सरणी,
वही करेंगे बेड़ा पार बीच बुढ़ापे में,
मेरा अब क्या होगा भोलेनाथ.....
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