बोली गौरा जी पुत्र गजानन से

बोली गौरा जी पुत्र गजानन से गजानन से,
अंदर आए ना कोई रोकना है तुझे,
बोली गौरा जी.....

जैसी तुमरी आज्ञा कह कर खड़े हैं गणेश,
थोड़ी देर में वहां आ गए महेश,
गणपत ने रोका है अंदर जाने से,
अंदर आए ना कोई रोकना है तुझे,
बोली गोरा जी....

क्रोधित होकर शंभू त्रिशूल उठाएं,
कांटा गला धड़ से जमी पर गिराए,
दौड़ी भागी गोरा आई नहाबत से,
अंदर आए ना कोई रोकना है तुझे,
बोली गोरा जी.....

रोती बिलखती हैं गोरा मैया,
मार दिए लाल मेरे हाय दैया,
करो लाल जीवित चमत्कार से,
अंदर आए ना कोई रोकना है तुझे,
बोली गोरा जी.....

जीवित करूंगा लगाकर धड़ पर शीश,
शंभू भोले गणों से ले आओ ऐसा शीश,
जिसकी मैया सोए मुंह फेरे लाल से,
अंदर आए ना कोई रोकना है तुझे,
बोली गोरा जी....

काट लाए छोटे से हाथी का शीष,
जोड़ दिया धड़ से दिए हैं आशीष,
खुश हुई है गौरा आज्ञा पालन से,
अंदर आए ना कोई रोकना है तुझे,
बोली गोरा जी....
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