रणत भंवर से.आओ

रणत भंवर से आओ,
हे रिद्धि सिद्धि रा भरतार,
संकट हारी हो रही थारी,
जग में जय जयकार,
रणत भंवर से आओ।।

तर्ज – सावन का महीना।


माँ जगदम्बा अम्बा,
लाढ़ लढायो,
पालने झुलायो थाने,
गोद में खिलायो,
शिव शंकर भोले को,
है पायो प्यार दुलार,
संकट हारी हो रही थारी,
जग में जय जयकार,
रणत भंवर से आओ।।

रणत भवर से आओ,
हे रिद्धि सिद्धि रा भरतार,
संकट हारी हो रही थारी,
जग में जय जयकार,
रणत भंवर से आओ।।


दुंद दुंदालो बाबो,
सूंड सूंडालो,
भीड़ पढ़या यो,
बण्यो रखवालो,
ठुमक ठुमक के नाचे,
बाजे पायल की झंकार,
संकट हारी हो रही थारी,
जग में जय जयकार,
रणत भंवर से आओ।

रणत भवर से आओ,
हे रिद्धि सिद्धि रा भरतार,
संकट हारी हो रही थारी,
जग में जय जयकार,
रणत भंवर से आओ।।


मोदक प्रिय मुख,
मंगल दाता,
सुर नर किन्नर,
भाग्य विधाता,
गणनायक वरदायक,
हे देवा रा सरदार,
संकट हारी हो रही थारी,
जग में जय जयकार,
रणत भंवर से आओ।

रणत भवर से आओ,
हे रिद्धि सिद्धि रा भरतार,
संकट हारी हो रही थारी,
जग में जय जयकार,
रणत भंवर से आओ।।


प्रथम मनावा ध्यावा,
गणपति राजा,
विघ्न हरहु सारहु,
सब काजा,
श्याम मंडल है थारो,
थारो ही ‘राम अवतार’,
संकट हारी हो रही थारी,
जग में जय जयकार,
रणत भंवर से आओ।

रणत भवर से आओ,
हे रिद्धि सिद्धि रा भरतार,
संकट हारी हो रही थारी,
जग में जय जयकार,
रणत भंवर से आओ।।


रणत भंवर से आओ,
हे रिद्धि सिद्धि रा भरतार,
संकट हारी हो रही थारी,
जग में जय जयकार,
रणत भंवर से आओ।।
" मंजीत सिंह "
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