माहरी कानी देख थारो

माहरी कानी देख थारो दास पुराणों सु,
मैं थारो ही दीवाना हु,

दरबार में तुम्हारे कब से खड़ा हु श्याम,
नजर क्यों फेर रहो,किरपा के अमृत से नेहलाओ सांवरिया,
भगत तहरो तरस रहो,छलिया जादूघर ताहने खूब पहचानू सु,
माहरी कानी देख.........

लेले परीक्षा तू अपने भगत की श्याम,ना हारे दास तेरा,
तू देखता सब को ना देखता मुजको बता अपराध मेरा,
आज ना हटू बात अपनी मनाई सु,छलिया जादूघर ताहने खूब पहचानू सु,
माहरी कानी देख........
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